शुक्रवार, मई 13, 2016

दिल ...दिमाग ...और हम













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 दिमाग राजा है! दिल मंत्री!शरीर दास !

_____ये कौन कब ? किसलिए ? किस मन: स्थिति और मानसिकता में कह गया ! इस सोच को समझने की ज़ुरूरत है ! 
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 _______दिल  तो  बच्चे  की  मानिंद  है ! चाँद  की जानिब हाथ  फैलवा  ही देता है ! दिमाग  जानता  है , चाँद  की असलियत और इन्सान की औकात या हैसियत ! दिमाग कभी  चाँद नहीं मांगता ! जिसके  दिमाग ने चाँद  माँगा वो , चाँद तक पहुंचा . सारी  दुनिया इस सच से वाकिफ़  है 
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 ___________ गोया के ये तय किया जाना आसान  नहीं कि  दिल की माने या नहीं ? लेकिन  ये तय है की दिमाग  की मानी  जानी चाहिए . इसके  पीछे जो वजह  है ,निश्चय ही उसे दिमाग की बदौलत  ही खोजा गया होगा ....... क्यूंकि  दिल  तो महज एक पम्प है :) रक्त  शोधक और शुद्ध  रक्त के लिए शरीर जिसपर निर्भर है 'वो ' अवयव :)

लेकिन ' ब्रेन " के कमाल  को विज्ञान ने प्रमाण दे -दे कर , बेचारे  दिल को सोच -समझ से सर्वथा दूर कर दिया !

___________ लेकिन  दिमाग कितनी भी अपनी मनवा  ले लेकिन ' दिल ' धड़कना  बंद कर दे तब सारी होशियारी एक तरफ़ और ..........बोले तो , कोई किसी से कम नहीं ! 

_____________ ईश्वर  ने शरीर में कोई भी चीज़ बेवजह  नहीं बनाई , हाँ इन्सान उस वजह को बेवजह साबित करदे ये हुनर रखता  है ! इन्सान की  फ़ितरत ही  कुछ ऐसी है ! ऐसी  क्यूँ हैं  का जवाब जब विज्ञान ने तलाश  के नहीं  दिया तो ' मनोविज्ञान ' ने कुछ  ख़ोज और ख़ुलासे अपने जिम्मे कर  लिए ! 

_____________  ठीक है यदि दिल सोच नहीं सकता तो हम उस सोच की तरफ़ चलें जहां दिमाग सीधा हस्तक्षेप  नहीं  करता ! मनोविज्ञान ने  अपना जाल धीरे -से  फैलाया ________ चेतन - अर्धचेतन -अचेतन ______ जी हाँ , ये मन  की अवस्थाएँ हैं :) 


________________ डॉ . प्रतिभा स्वाति







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