रविवार, मई 01, 2016

मज़दूर ...


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देखें  दुर्दशा  
बेचारा मज़दूर 
हमेशा फंसा 
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बातों से दूर 
श्रम के बीज बोता 
ये मजदूर 
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काश  मिलते 
हंसके दो निवाले 
चैन से खाले
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किसी को क्या है 
मज़दूर दिवस 
आ गया बस 
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जब मन बहुत भर जाता है किसी समवेदनशील मुद्दे पर , तब उस गहन पीड़ा को यूँ ही अभिव्यक्त होने देती हूँ ' हाइकू ' के जरिये . मुझे मालूम है , उन तमाम मजदूरों को तो पता भी नहीं की आज ' मज़दूर दिवस ' है !
________________ डॉ . प्रतिभा स्वाति



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