रविवार, फ़रवरी 15, 2015

ख़ामियां ... होने दो ज़ाहिर

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बुराई / नहीं है 
बुरी उतनी !
उसे / होने दो 
ज़ाहिर !
वो / ख़ुद 
तलाश लेगी 
रास्ते 
समायोजन के !
सुखद ,
आयोजन के :)
__________________ डॉ . प्रतिभा स्वाति

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