रविवार, फ़रवरी 02, 2014

जीवन ...



प्रतिकूल  / पनपते  ,पतझड़ में !
मधुमास महकते  आते   हैं !
संघर्षों  की / कठिन  शिला पर !
सूरज / शूर  जलाते  है !!
------------------------------  डॉ. प्रतिभा स्वाति 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...