शनिवार, नवंबर 23, 2013

ख़ुशी / अब यहाँ नही रहती

मत पूछिये  सबब ,
मेरे यूँ / आज
मुस्कुराने  का !
किसी कोयल से ,
गीत  गाने का !
पतझड़ में ,
उस सूखी टहनी पे ,
फूल के खिल जाने का !

मत पूछिये  सबब !
आकाश चूमकर ,
परिंदे से / फिर 
नीड़ तक लौट आने का !
खारा है समन्दर ,
फिर भी / मचलकर 
उसके  करीब ,
नदी के यूँ जाने का !

क़ुदरत के इशारे ,
सदियों  से ,
यूँ हि , चला करते हैं !
बेसबब ! और 
मै / तुम / हम-सब ,
हाथ मला करते  हैं !!

अब /यहाँ ,
अपना कोई नही रहता !
रह जाइये / जब 
आ ही गए है / दर तक ,
मेहमान बनके !
वो कहकहे !
वो शोख़ मुस्कुराहटें !
छनकती  पायल !
चूडियो की खन- खन !
महकता आंगन !

अब इस / वीराने में ,
कुछ  भी नही साहिब !
'ख़ुशी ' / अब 
यहाँ  नही रहती !
मेरे घर का 
सामान  बनकर !
----------------------------- डॉ . प्रतिभा स्वाति  

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